खोल दूं यह आज का दिन – केदारनाथ सिंह शायरी

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केदारनाथ सिंह, हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे. यहाँ पढ़िए उनकी ही एक बेहद खूबसूरत हिंदी कविता जिसका शीर्षक है “खोल दूं यह आज का दिन”.

खोल दूं यह आज का दिन


जिसे-


मेरी देहरी के पास कोई रख गया है,


एक हल्दी-रंगे


ताजे


दूर देशी पत्र-सा।


थरथराती रोशनी में,


हर संदेशे की तरह


यह एक भटका संदेश भी


अनपढा ही रह न जाए-


सोचता हूँ


खोल दूं।


इस सम्पुटित दिन के सुनहले पत्र-को


जो द्वार पर गुमसुम पडा है,


खोल दूं।

पर, एक नन्हा-सा


किलकता प्रश्न आकर


हाथ मेरा थाम लेता है,


कौन जाने क्या लिखा हो?


(कौन जाने अंधेरे में- दूसरे का पत्र मेरे द्वारा कोई रख गया हो)


कहीं तो लिखा नहीं है


नाम मेरा,


पता मेरा,


आह! कैसे खोल दूं।

हाथ,


जिसने द्वार खोला,


क्षितिज खोले


दिशाएं खोलीं,


न जाने क्यों इस महकते


मूक, हल्दी-रंगे, ताजे,


किरण-मुद्रित संदेशे को


खोलने में कांपता है।

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