History of जामा मस्जिद | jama Masjid in Hindi

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दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। यह जामा मस्जिद पुरानी दिल्ली शहर में स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहाँ ने सन. 1644-56 के बीच करवाया था। पूरे मस्जिद के निर्माण कार्य में 10 लाख रूपए लगे। यह मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद के प्रांगण में 25 हजार से भी अधिक लोग बैठकर प्रार्थना कर सकते हैं। अपने शासन के दौरान जामा मस्जिद शाहजहाँ के द्वारा बनवाया गया आखिरी स्मारक है। इस मस्जिद को आमतौर पर ‘जामा’ कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘शुक्रवार’।

सन. 1857 के विद्रोह होने के पूर्व इस मस्जिद के दक्षिणी छोर के पास एक मदरसा था, जिसको विद्रोह के दौरान नष्ट कर दिया गया। जामा मस्जिद पर दो बार हमले किए जा चुके हैं, पहला हमला सन. 2006 में किया गया था और दूसरा सन. 2010 में किया गया। सन. 2006 में किए गए हमले में 13 लोग मस्जिद के अन्दर घायल हुए और सन. 2010 में दो ताइवानी छात्र सीधे गोलियों का निशाना बनकर घायल हुए।

पाकिस्तान के लाहौर शहर में बने बादशाही मस्जिद की संरचना का निर्माण भी जामा मस्जिद के आधार पर शाहजहाँ के बेटे औरंगज़ेब ने करवाया था।

इतिहास

जामा मस्जिद बनाने का सपना मुगल बादशाह शाहजहाँ ने देखा था और अपने सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली के लाल किले के ठीक सामने एक छोटी सी पहाड़ी पर मस्जिद बनाने का निर्णय लिया। इस पहाड़ी को चुनने की वजह भी बेहद खास थी। शाहजहाँ की इच्छा थी कि खुदा का दरबार उसके दरबार से ऊँचा रहे। खुदा के घर का फर्श उसके तख्त और ताज से ऊँचा हो, इसीलिए मस्जिद बनाने के लिए ‘भोजला’ नाम की इस छोटी सी पहाड़ी को चुना गया। 6 अक्टूबर सन. 1650 को मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू किया गया और सन. 1656 में यह मस्जिद पूर्ण रूप से तैयार हुई। इस मस्जिद का उद्घाटन करने हेतु शाहजहाँ ने उजबेकिस्तान के बुखारा शहर के मुल्ला इमाम बुखारी को निमंत्रण भेजा और 9 जुलाई सन. 1656 को जामा मस्जिद का उद्घाटन मुल्ला इमाम बुखारी द्वारा करवाया गया।

सन. 1857 में हुए विद्रोह में ब्रिटिश द्वारा विजय प्राप्त करने के पश्चात जामा मस्जिद पर अंग्रेजों ने अपना अधिकार कर लिया। यहाँ तक की वह इस मस्जिद को नष्ट भी करना चाहते थे, परन्तु विपक्षों का सामना होने के कारण अंग्रेज मस्जिद को नष्ट न कर सके।

निर्माण कार्य

जामा मस्जिद का निर्माण करने में 6 वर्षों का समय लगा, जिसमें लगभग पाँच हजार मजदूरों ने काम किया। जामा मस्जिद का इबादत घर बहुत ही सुन्दर है। इसमें 11 मेहराब हैं, जिनमें बीच वाला मेहराब अन्य मेहराबों से कुछ बड़ा है। दक्षिण मीनारों का परिसर 1076 वर्ग फीट चौड़ा है। मस्जिद की लम्बाई 80 मीटर और चौड़ाई 27 मीटर है, इसमें 3 राजसी द्वारों के साथ 40 मीटर ऊँची चार मीनारें हैं, जो लाल बलुआ पत्थरों एवं सफेद संगमरमर से बनी हुई हैं। मस्जिद में निर्मित इबादत घर की लम्बाई 61 मीटर है और चौड़ाई 27.5 मीटर है। यह इबादत घर ऊँचे नुकीले मेहराब और संगमरमर के बड़े गुंबदों द्वारा बनाया गया है। इस मस्जिद में नक्काशी किये गये लगभग 260 स्तंभ हैं, जिनमें हिन्दू एवं जैन वास्तुकला की छाप दिखाई देती है।

पर्यटन

जामा मस्जिद पुरानी दिल्ली के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस मस्जिद का पूर्वी द्वार केवल शुक्रवार को ही खुलता है, जिसके बारे में यह धारणा है कि सुल्तान इसी द्वार से प्रवेश किया करते थे। नमाज पढ़ने के दौरान मस्जिद में दर्शकों का प्रवेश करना वर्जित है, अतः इसके अलावा इसमें प्रवेश करना नि:शुल्क है। यह मस्जिद दिल्ली के लाल किले से 500 मीटर की दूरी पर स्थित है।

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