History of पुराना किला | Purana Qila | Old Fort in Hindi

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भारत के दिल्ली शहर में स्थित पुराना किला पर्यटन की दृष्टि से विश्वविख्यात है। यह किला दिल्ली का सबसे पुराना किला है। इस किले के वर्तमान स्वरुप का निर्माण सूर साम्राज्य के स्थापक शेरशाह सूरी ने करवाया था, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस किले को पूर्ण रूप से किसने और कब बनवाया। शेरशाह सूरी ने अपने राज्य काल में यहाँ लाल पत्थरों से बनी दो मंजिला पुस्तकालय की ईमारत को बनवाया था, जिसे शेर मंडल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इसी शेर मंडल नामक पुस्तकालय में नमाज की आवाज को सुनकर वह जल्दी में हाथों में पुस्तकों का भार लिए सीढ़ियों से फिसलकर मृत्यु को प्राप्त हो गया।

हिन्दूओं के इतिहास के अनुसार यह किला पांडवों के राज्य की राजधानी इन्द्रप्रस्थ के स्थान पर बना हुआ है, क्योंकि पुरातत्व प्रमाणों के अनुसार इस स्थान पर खुदाई करने पर बहुत सी ऐसी प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जो इस बात की पुष्टि करती है कि यह जगह पूर्व समय में महाभारत के पांडवों की राजधानी इन्द्रप्रस्थ थी।

सन. 1970 में पहली बार इस किले को थिएटर की पृष्ठभूमि के लिए इस्तेमाल किया गया, जब राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय ने यहाँ इब्राहीम अल्काज़ी द्वारा निर्देशित तीन प्रस्तुतियों को आयोजित किया, जिसमें पहली तुगलक, दूसरी अँधा युग और तीसरी सुल्तान रजिया की प्रस्तुतियां थीं। समय गुजरने के साथ यह भूमि विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण थिएटर प्रस्तुतियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और संगीत कार्यक्रम की जगह बन गई। आज यहाँ प्रतिदिन सूर्यास्त होने के पश्चात दिल्ली के सात शहरों के इतिहास की प्रस्तुति दिखाई जाती है।

इतिहास

सन. 1533 में हुमायूँ के शासन काल के दौरान यह किला दीन पनाह नामक शहर का आन्तरिक गढ़ था, जिसको हुमायूँ ने पाँच वर्षों में दोबारा बनवाया। उसके उपरांत सन. 1540 में शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराकर इस किले पर अपना अधिकार कर लिया और इस किले को शेरगढ़ का नाम दिया। सूरी ने अपने राज्य के दौरान इस किले में कई तरह के बदलाव किए, उसी दौरान हुमायूँ ने पुनः इस किले पर आक्रमण किया और शेरशाह को हराकर किले को दोबारा अपने अधिकार में कर लिया। माना जाता है कि इस किले पर पुनः अधिकार करने पर सन. 1545 में किले का निर्माण कार्य हुमायूँ ने पूर्ण करवाया।

यह माना जाता है कि पूर्व समय में दिल्ली को सर्वप्रथम महाभारत के पाँच पांडवों ने अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ के रूप में बसाया था, हालांकि इस बात का कोई प्रमाणित सबूत उपलब्ध नहीं है, केवल इस स्थान पर पुरातत्व विभाग को खुदाई में मिली मिट्टी की वस्तुएं जो महाभारत से जुड़ी अन्य जगहों पर प्राप्त की गई वस्तुओं से मिलती हैं, जिनसे इस बात को समर्थन मिलता है कि यह जगह पांडवों की राजधानी इन्द्रप्रस्थ रही होगी।

निर्माण कार्य

इस किले का निर्माण सूर वंश के संस्थापक शेरशाह सूरी ने 16 वीं शताब्दी में करवाया था । सन् 1539-40 में शेरशाह सूरी ने अपने प्रतिद्वन्द्वी मुगल बादशाह हुमायं को हराकर दिल्ली और आगरा पर अपना अधिकार स्थापित किया। पुराने किले की दीवारों की ऊँचाई अठारह मीटर है। इस किले में तीन धनुषाकार के मुख्य द्वार निर्मित हैं, जिसमें पहले दरवाजे का नाम बड़ा दरवाजा है जो पश्चिम की ओर खुलता है, इस दरवाजे को आज किले के अन्दर जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। दूसरे दरवाजे का नाम है हुमायूँ दरवाजा जो दक्षिण की ओर खुलता है, इस दरवाजे को शायद इसलिए यह नाम दिया गया क्योंकि इस दरवाजे से हुमायूँ का मकबरा दिखाई देता है या इस दरवाजे को हुमायूँ ने बनवाया इसलिए इसे हुमायूँ का दरवाजा कहा जाता है। तीसरे दरवाजे का नाम है तलाकी दरवाजा जो उतर की ओर बना हुआ है। यह दरवाजा प्रतिबंधित है और इस दरवाजे के प्रतिबंधित होने का कारण भी स्पष्ट नहीं है। उत्तर और दक्षिण के दरवाजों की वास्तुकला में राजस्थान की वास्तुकला दिखाई देती है, जिसको आगे चलकर मुगल शासकों ने कई बार दोहराया।

पर्यटन

दिल्ली का पुराना किला पर्यटन की दृष्टि से मसहूर है। इस किले में तीन दरवाजे हैं, जो हुमायूँ दरवाजा, तलकी दरवाजा और बड़ा दरवाजा के नाम से जाने जाते हैं। पास ही में शेरशाह सूरी का मस्जिद भी है । यहाँ बोट क्लब भी है, जहाँ नौकायान का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। इस किले में दर्शकों को अपनी शाम सुहानी बनाने के लिए संगीत और लाइट शो का आयोजन होता है। यह किला दर्शकों के लिए प्रत्येक दिन सुबह 9 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक खुला रहता है।

किलों की तालिका

क्र सं किले का नाम निर्माण वर्ष निर्माणकर्ता स्थान
1 लक्ष्मणगढ़ किला सन. 1862  राजा लक्ष्मण सिंह सीकर, राजस्थान
2 गागरोन किला 12वीं शताब्दी राजा बीजलदेव झालावाड, राजस्थान
3 मदन महल किला सन. 1100 राजा मदन सिंह जबलपुर, मध्य प्रदेश
4 ग्वालियर किला 14 वीं सदी राजा मानसिंह तोमर ग्वालियर, मध्य प्रदेश
5 रणथंभोर किला सन. 944 चौहान राजा रणथंबन देव सवाई माधोपुर, राजस्थान
6 जूनागढ़ किला सन. 1594 राजा रायसिंह बीकानेर, राजस्थान
7 मेहरानगढ़ किला सन. 1459 राव जोधा जोधपुर, राजस्थान
8 लोहागढ़ किला सन. 1733 महाराजा सूरजमल  भरतपुर, राजस्थान
9 कुम्भलगढ़ किला सन. 1458 राजा महाराणा कुम्भा राजसमन्द, राजस्थान
10 भानगढ़ किला सन. 1573 राजा भगवंत दास अलवर, राजस्थान
11 आगरा किला सन. 1565 अकबर आगरा, उत्तर प्रदेश
12 लाल किला सन. 1648 शाहजहाँ दिल्ली
13 पुराना किला 16 वीं शताब्दी शेरशाह सूरी दिल्ली

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