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हैलोफार्म अभिक्रिया किसे कहते हैं:

वे यौगिक जिनकी संरचना

जैसी होती है वे समस्त पदार्थ हैलोजन व क्षार से क्रिया करके हैलोफॉर्म अभिक्रिया कहते है।

नोट : CH3-CHO , CH3-CH2-OH , CH3-CO-CH3 , CH3-CH2-CO-CH3 , C6H5-CO-CH3 , CH3-CH[OH]-CH3 आदि पदार्थ हैलोफॉर्म अभिक्रिया प्रदर्शित करते है।

एथेनॉल व प्रोपेनल में अंतर:

एथेनॉल आयोडोफॉर्म परिक्षण देता है जबकि प्रोपेनल यह परिक्षण नहीं देता।

CH3-CHO + 3I2 + 4NaOH → CHI3 + 3NaI + 3H2O + HCOONa

CH3-CH2-CHO + I2 + NaOH → XX

ऐल्डोल संघनन किसे कहते हैं:

वे कार्बोनिल यौगिक जिनके α कार्बन पर H परमाणु होते है वे ऐल्डोल संघनन की क्रिया प्रदर्शित करते है।  यह क्रिया तनु क्षार जैसे NaOH , Ba(OH)2 की उपस्थिति में होती है।

जब α हाइड्रोजन परमाणु युक्त एल्डिहाइड अथवा कीटोन की क्रिया तनु क्षार की उपस्थिति में की जाती है तो क्रमशः ऐल्डॉल तथा कीटोल बनते है जिन्हे गर्म करने पर असंतृप्त कार्बोनिल यौगिक बनते है।

क्रॉस ऐल्डोल संघनन किसे कहते हैं:

जब दो अलग अलग कार्बोनिल यौगिकों में ऐल्डोल संघनन की क्रिया होती है तो इसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते है।

इस क्रिया में दोनों एल्डिहाइड अलग अलग या दोनों कीटोन अलग अलग अथवा एक एल्डिहाइड व दूसरा कीटोन भाग ले सकते है परन्तु दोनों में से किसी कार्बोनिल यौगिक में α कार्बन पर H अवश्य जुडी होनी चाहिए।

एथेनेल (ehanal) व प्रोपेनेल (propanal) के क्रॉस ऐल्डोल संघनन से निम्न प्रकार से चार संभावित उत्पाद बनते है। 

कैनिजारो अभिक्रिया किसे कहते हैं:

वे एल्डिहाइड जिनके α कार्बन पर H परमाणु नहीं होता , वे सांद्र NaOH अथवा KOH के साथ क्रिया कर लेते है जिससे एल्डिहाइड के एक अणु का ऑक्सीकरण व दूसरे अणु का अपचयन हो जाता है।

2HCHO + NaOH →  HCOONa + CH3-OH

2C6H5-CHO + KOH →  C6H5-COOK + C6H5-CH2-OH

ऐरोमैटिक कार्बोनिक यौगिकों की इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया :

बेन्जेल्डिहाइड तथा एसिटोफिनोन में ये क्रियाएं m (मेटा) पर होती है।

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