राजस्थानी भजन रंग मत डारे रे साँवरिया राजस्थानी भजन लिरिक्स

‍दोहा – मुरली वाले मोहना,

तेरी मुरली रेण बजाय,

इन मुरली में मारो मन बश्यो,

काना एक बारी और बजाय,

प्रीत ना कर पंछी जैसी,

जो जळ सुख्या उड़ जाए,

प्रीत करले मछली जैसी,

जल सुख्या मर जाए।।

रंग मत डारे रे साँवरिया,

म्हाने गुजर मारे रे,

रंग मत डाले रे,

मैं गुजरी नादान,

गुजर मारो मतवारो रे,

रंग मत डाले रे।।

होली तो खेले मारा सांवरा,

कान्हा बरसाने में आजो रे,

राधा ने रुकमण ने,

लारा लेता आजो रे,

रंग मत डाले रे।।

सांस म्हारी बुरी छे ने ननद हठीली,

हो परणायो बईमान बालम,

झीड़की मारे रे,

रंग मत डाले रे।।

होरी तो खेले मारा,

कान्हा आलाखेड़ी में आजे रे,

अरे पंचमुखी बालाजी का,

तू तो दर्शन पा जे रे,

लगन्या लागी जी,

ओ लगन्या लागी रे सावरिया,

आप रा दर्शन करवारी,

लगन्या लागी रे।।

सावन रा महीना रो,

झूलो देख्या ही वण आवे रे,

अरे झूलन जावे छेल छोगाडो,

मन हर्शावे रे।।

चंद्र सखी ओ भज,

बाल की शोभा,

मोहन के चरणों में,

मेरो मनरो लाग्यो रे,

रंग मत डारो रे सांवरिया,

म्हारो गुजर मारे रे,

रंग मत डारो रे।।

जुलम कर डाल्यों,’

सितम कर डाल्यों,

काले ने…काले ने,

काले ने कर दियो लाल,

जुलम कर डाल्यों।।

कोई डाले नीलो पीलो,

कोई डाले हरो गुलाबी,

कान्हा ने…कान्हा ने,

कान्हा ने डाल्यों लाल,

जुलम कर डाल्यों।।

नानू पंडीत ठाकुर जी ने,

देशी अरचल गावे रे,

नानू पंडीत ठाकुर जी ने,

चरना शीश नवावै रे,

सुर लहरी भजना में गावे,

मान बढ़ावे रे रंग मत डालें रे।।