Read शायरी of है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और – मिर्ज़ा ग़ालिब on e akhabaar, Translations and Full wording of है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और – मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी
Presenting the ghazal “Hai Bas Ki Har Ek Un Ke Ishare Mein Nishaan Aur”, written by the Urdu Poet Mirza Ghalib. This Ghazal has also been sung by Mohammad Rafi in his voice and is from the 1954 movie Mirza Ghalib. The link to audio is given below.
है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और
करते हैं मोहब्बत तो गुज़रता है गुमाँ और
या-रब वो न समझे हैं न समझेंगे मिरी बात
दे और दिल उन को जो न दे मुझ को ज़बाँ और
अबरू से है क्या उस निगह-ए-नाज़ को पैवंद
है तीर मुक़र्रर मगर इस की है कमाँ और
तुम शहर में हो तो हमें क्या ग़म जब उठेंगे
ले आएँगे बाज़ार से जा कर दिल ओ जाँ और
हर चंद सुबुक-दस्त हुए बुत-शिकनी में
हम हैं तो अभी राह में है संग-ए-गिराँ और
है ख़ून-ए-जिगर जोश में दिल खोल के रोता
होते जो कई दीदा-ए-ख़ूँनाबा-फ़िशाँ और
मरता हूँ इस आवाज़ पे हर चंद सर उड़ जाए
जल्लाद को लेकिन वो कहे जाएँ कि हाँ और
लोगों को है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब का धोका
हर रोज़ दिखाता हूँ मैं इक दाग़-ए-निहाँ और
लेता न अगर दिल तुम्हें देता कोई दम चैन
करता जो न मरता कोई दिन आह-ओ-फ़ुग़ाँ और
पाते नहीं जब राह तो चढ़ जाते हैं नाले
रुकती है मिरी तब्अ’ तो होती है रवाँ और
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
Ghazal Audio Details
Song :- Hai Bas Ki Har Ek Unke Ishare Mohammed Rafi was a playback singer in Indian films. He is regarded as one of the Indian subcontinent’s greatest and most influential singers. “>Mohammed Rafi
Artist :- Mohammed Rafi
Music Director :- Ghulam Mohammad
Lyricist :- Mirza Ghalib
This Ghazal can be listen on –
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