Shri Ganesh ji ki Aarti – Ganesh ji ke Bhajan

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Ganesh ji ki Aarti

Ganpati Aarti – Ganpati Bhajan

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Ganesh ji ke Bhajan

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Shri Ganesh Aarti – Ganesh Bhajan

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Ganesh Vandana Lyrics

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गणेश जी की महिमा

गण का अर्थ है लोग (जन) और गणों के नायक को गणनायक, गणाधिपति या गणपति कहते हैं। मंगल मूर्ति श्री गणेश को लोग गणपति बप्पा भी कहते है।

गणपतिजी को अग्रपूजा का सम्मान प्राप्त है, इसलिए किसी भी कार्य के आरंभ में गणेशजी की पूजा की जाती है।

गणेश जी को सुखकर्ता, दु:खहर्ता और रक्षणकर्ता कहते हैं – अर्थात भक्तों को सुख देने वाले, भक्तों के दुख हरने वाले और भक्तों की रक्षा करने वाले।

श्री गणेश को विद्या और बुद्धि के देवता भी कहा जाता है।

अ, उ और म से ओम की निर्मिति हुई है और हिन्दू संस्कृति के अनुसार ओमकार से ही विश्व निर्मिती हुई है। श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इसलिए श्री गणेश को विश्वरूप देवता माना जाता है।

  • इस एकाक्षर ॐ में
    • ऊपर का भाग गणेशजी का मस्तक,
    • नीचे वाला भाग उदर तथा
    • मात्रा सूँड है और
    • चंद्रबिंदु लड्डू है।
  • चार भुजाएँ  – चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता का प्रतीक हैं।
  • लंबोदर (अर्थात बड़ा उदर, पेट) – क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है।
  • बड़े कान – अधिक ग्राह्यशक्ति, सभी भक्‍तों की प्रार्थनाएँ सुनते हैं।
  • छोटी-पैनी आँखें – सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं।
  • लंबी नाक (सूंड) – महाबुद्धित्व, महान बुद्धि का प्रतीक है।

Ganesh Vandana