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जब सूय एक क्षैतिज की ओर होता है और वर्षा इसके विपरित क्षितिज में हो रही है उस समय मनुष्य अपनी पीट को सूर्य की तरपफ रखे तो इन्द्रधनुष दिखाई देता है। जब वर्षा हो रही होती है तो पानी की नन्ही-नन्ही बूंदे हवा में तैरती रहती है ये बूंदे प्रिज्म की तरह कार्य करती है। जब प्रकाश की किरण बूंद में प्रवेश करती है तो अपवर्तन के कारण परिक्षेपण की घटना होती है जब ये किरणे बूंद के दूरसे पृष्ठ पर आपतित होती है और आपतन कोण का मान क्रांन्तिक कोण से 48 डिग्री अधिक है।

तो आन्तरिक परावर्तन की घटना होती है और अन्त में अपवर्तन के द्वारा ये किरणे बाहर निकल जाती है चित्र में ऊपर की बूंद से लाल किरण और नीचे की बूंद से बैंगनी किरण आँख में प्रवेश करती है इस प्रकार मनुष्य को इन्द्रधनुष 40 डिग्री से 42 डिग्री (2डिग्री) एक कोण पर इन्द्रधनुष दिखाई देता है।

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प्रश्न 2 : रेले प्रकीर्णन किसे कहते हैं। प्रकीर्णन की परिभाषा दीजिए और समझाइए कि दिन के समय आकाश नीला और बादल श्वेत दिखायी देते हैं क्योें ?

प्रकीर्णन (Dispersion in hindi):- जब सूर्य से प्राप्त किरणे हवा के कणों पर पड़ती है तो प्रकाश की किरणें चारो तरफ फैल जाती है इस घटना को प्रकीर्णन कहते है।

रेले का प्रकीर्णन (Scattering of rallies in hindi):- यदि प्रकीर्णन का आकार तरंगद्र्वध्र्य की तुलना में छोटा है तो प्रकीकर्णन की प्रकाश की तीव्रता तरंग दैध्र्य के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

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रेले प्रकीर्णन से स्पष्ट हैं कि प्रकीर्णन प्रकाश में नीले रंग की तीव्रता अधिक होगी यही करण है कि दिन के समय आकाश नीला दिखाई देता है। पानी की बूंदे, धूए के कण, प्रकाश की तरंग द्र्वध्र्य की तुलना में अधिक बड़े होते हैं। अतः इनमें रेले प्रकीर्णन नहीं होता। इन कणों से प्रकीर्णन प्रकाश की तीव्रता में सभी तरंग द्वैध्र्य की किरणों का मान समान होता है। इसलिए बादल और धुए के कण श्वेत दिखाई देते है।

सूर्य उगत व छिपते समय लाल रंग का क्यों दिखाई देता है समझाइए ?

सूर्य अथवा चन्द्रमा उगते समय इससे आने वाली किरणे जब पे्रक्षक तक पहुॅचती है तो किरणों को वायुमण्डल में अधिक दूरी तय करनी पड़ती है छोटी द्वैध्र्य की किरणों का प्रकीर्णन होने के कारण आपतित प्रकाश में लाल रंग की तीव्रता अधिक होती है। क्योंकि लाल रंग का प्रकीर्णन बहुत कम होता है इसी कारण खतरे के निशान भी लाल रंग के होते है। ताकि लाल रंग अधिक दूरी तक जा सके।

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