सुनिए जिद है कन्हैया बिगड़ी बना दो भजन लिरिक्स

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जिद है कन्हैया,

बिगड़ी बना दो,

मार के ठोकर या फिर,

हस्ती मिटा दो,

जिद है कन्हैया।।

तर्ज – सागर किनारे।




बरसे जो तू तो,


कुटिया टपकती,

ना बरसे तो,

खेती तरसती,

बरबस ही मेरी,

आंखे बरसती,

मांगू क्या तुझसे,

तुम ही बता दो,

मार के ठोकर या फिर,

हस्ती मिटा दो,

जिद है कन्हैया।।




रोता हूँ मैं तो,


हंसती है दुनिया,

सेवक पे तेरे ताने,

कसती है दुनिया,

हालत पे मेरे,

बरसती है दुनिया,

रोते हुए को,

फिर से हसा दो,

मार के ठोकर या फिर,

हस्ती मिटा दो,

जिद है कन्हैया।।




तेरे सिवा कोई,


हमारा नहीं है,

बिन तेरे अपना,

गुजारा नहीं है,

हाथों को दर दर,

पसारा नहीं है,

जाऊं कहाँ मैं,

तुम ही बता दो,

मार के ठोकर या फिर,

हस्ती मिटा दो,

जिद है कन्हैया।।




होश संभाली जबसे,


तुझको निहारा,

सुख हो या दुःख हो,

तुझको पुकारा,

सेवक ये तेरा क्यों,

फिरे मारा मारा,

अपना वो जलवा,

हमें भी दिखा दो,

मार के ठोकर या फिर,

हस्ती मिटा दो,

जिद है कन्हैया।।




‘रोमी’ ये तुझसे,


अर्जी लगाए,

सपने ना टूटे जो,

तुमने दिखाए,

सर मेरा दर दर,

झुकने ना पाए,

सपनो के मेरे,

पंख लगा दो,

मार के ठोकर या फिर,

हस्ती मिटा दो,

जिद है कन्हैया।।




जिद है कन्हैया,


बिगड़ी बना दो,

मार के ठोकर या फिर,

हस्ती मिटा दो,

जिद है कन्हैया।।

स्वर / रचना – रोमी जी।

प्रेषक – निलेश खंडेलवाल।

धाम नगांव रेलवे।

9404780926


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