History of अकबर का मकबरा | Akbar Ka Maqbara | Akbar’s Tomb in Hindi

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सिकंदरा स्थित अकबर का मकबरा मुगल वास्तुशिल्प के बनी उत्कृष्ट कृतियों के लिए भी काफी लोकप्रिय है। अकबर का मकबरा आगरा शहर से 5 किलोमीटर दूर सिकंदरा में स्थित है। वर्तमान में जहाँ सिकंदरा है, वहाँ पर सिकंदर लोधी की सेना का पड़ाव था। सिकंदर लोधी के नाम पर इस जगह का नाम “सिकंदरा” पड़ा। इसका निर्माण कार्य सन. 1605 में अकबर के द्वारा शुरू करवाया गया था, लेकिन इसका निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले ही अकबर की मृत्यु हो गयी थी। बाद में अकबर के पुत्र जहाँगीर ने इसका निर्माण पूर्ण करवाया। जहाँगीर ने इस मकबरे की आरंभिक बनावट में कई परिवर्तन किये। इस इमारत को देखकर पता चलता है कि मुग़ल कला कैसे विकसित हुई। मुग़लकला निरंतर विकसित होती रही है, पहले दिल्ली में हुमायूँ का मक़बरा, फिर अकबर का मक़बरा और अंततः ताजमहल का निर्माण हुआ। मक़बरे के चारों ओर ख़ूबसूरत बगीचा है, जिसके बीच में “बरादी महल” है, जिसका  निर्माण सिकंदर लोधी ने करवाया था। सिकंदरा में स्थित यह मकबरा 119 एकड़ जगह में फैला हुआ है। मकबरे का निर्माण संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से किया गया है, इसमें मुस्लिम और हिन्दू वास्तुशिल्प शैली का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है।

निर्माण

अकबर का मकबरा एक पांच मंजिला इमारत है, जो चतुर्भुज आकार का बना हुआ है। मकबरे की सबसे ऊपरी मंजिल पर बना मकबरा वास्तविक नहीं है, क्योंकि मूल कब्र को ज़मीन स्तर के नीचे बनाया गया है। सबसे नीचे की मंजिल के चारों तरफ एक मठ बनाया गया है, जिसे कई हिस्सों में विभाजित किया गया है, जिसमें विशाल डाट वाले गोल दरवाजे और स्तम्भों के खण्ड हैं। मकबरे की चारों मंजिलों में बरामदा है, जिनमें डाट वाले गोल दरवाजे के समूह हैं और प्रत्येक साइड पर विशाल फाटक बनाए गए हैं। तीसरी मंजिल के प्रत्येक कोने में एक छोटा वर्गाकार कमरा है।

इस इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर द्वारा किया गया है। मकबरे में स्थित सभा कक्ष वर्गाकार का है और आसमान की ओर से खुला हुआ है। मकबरे में एक केंद्रीय आँगन है, जो चारों ओर से पतली डाट वाले गोल दरवाजे से घिरा हुआ है। इस आँगन को खण्डों में विभाजित किया गया है। मकबरे परिसर के केंद्र में एक वर्ग मंच है, जिसके ऊपर सफ़ेद संगमरमर से नकली कब्र बनायी गयी है। इस कब्र पर अरेबिक और फूल पैटर्न का खुदाई का कार्य किया गया है।

सभी इमारतों के केंद्र को मकबरे की ही तरह ऊंचा बनाया गया है, जिनमें सुन्दर पैनल है, जिनको सुन्दरता से सजाया गया है। अरेबिक वास्तुकला इसकी शोभा को बढाती है, इस वास्तुकला में दीवारों पर चित्र लगाना और बुर्जों को डिजाइन से सजाना-संवारना सम्मिलित है। पैनल पर किये गए डिजाइन में शिलालेख, पुष्प और ज्यामितिक वास्तुकला शामिल है, जो एत्माद-उद-दौला के मकबरे पर भी बनायी गयी है।

इस मकबरे के चारों ओर एक अच्छी तरह से बना हुआ बगीचा है, जहाँ पर कई तरह के बंदर, मोर और हिरण भी देखने को मिलते हैं। अकबर के मकबरे के दक्षिण पूर्वी भाग में शीशमहल उपस्थित है, जिसे जहाँगीर ने अपनी पत्नी नूरजहाँ के लिए बनवाया था।

यह मक़बरा मुग़लों की प्रमुख इमारतों में सुन्दरतम इमारत है। यह अकबर की स्मृति में बना उपयुक्त स्मारक है। 18वीं सदी में यह मकबरा क्षतिग्रस्त हो गया था और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने सन. 1902 से सन. 1911 के मध्य में इस मकबरे की मरम्मत करवाई था।

समय व शुल्क

इस मकबरे को देखने का समय सुबह 9 बजे से शाम को 6 बजे तक है। इसका प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिकों के लिए 10 रुपये व विदेशी नागरिकों के लिए 100 रुपये है।

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